श्री परशुराम चालीसा | Parshuram Chalisa

श्री परशुराम चालीसा | Parshuram Chalisa

Parshuram Chalisa Lyrics in Hindi


॥ दोहा ॥

श्रीशिव गुरु स्वामी माहेश्वर मज तु उद्धारी ।
उमा सहीत दायकु आर्शिवाद मज तु तारी ॥

बुद्धिदेवता तव जानिके दिये परशु तुमार ।
तव बल जानिये दुनिया सारी दुष्टि करे हहाकार ॥

॥ चौपाई ॥

जय परशुराम बलवान दुनिया सार।
जय रामभद्र कहे लोक करे जागर॥१॥

शिव शिष्य भार्गव तव नामा ।
रेणुका पुत्र जमतग्निसुत लामा ॥२॥

शुरविर नारायण तव अंगी ।
छटा अवतार सुहीत के संगी ॥३॥

परशु तव हस्ता दिसे सुवेसा ।
ऋषि मुद्रिका तव मन श्रेसा ॥४॥

हाथ शिवधनुष्य भार्गवा साजै ।
विप्र कुल कांधे जनेउ साजै ॥५॥

विष्णु अंश ब्रह्मकुलनंदन ।
तव गाथा पढे करे जग वंदन ॥६॥

वेद ही जानत असे चतुर ।
शिवजी के शिष्य बलशाली भगुर ॥७॥

पृथ्वि करे निक्षेत्र एक्कीस समया ।
विप्र रक्षोनी दुष्टास मारीया ॥८॥

भार्गव अवतारी तव गुन गावा ।
कर्म स्वरुपे तव चिरंजीवी पावा ॥९॥

सहस्राजुना तव तु संहारे ।
पिता वचन दिये तव तु पारे ॥१०॥

पीता होत तव अज्ञाये ।
माता शिरछेद कर तु जाये ॥११॥

जमदग्नी कहे मम पुत्र प्रियई ।
तुम जो चांहे आर्शिवाद मांगई ॥१२॥

भद्र कहते मम माता ही जगावैं ।
भ्राता सहीत मम सामोरी लावैं ॥१३॥

तव मुखमंडल दिसे ऋषिसा ।
घोर तपस्वि पठन संहीता ॥१४॥

मुद्रा गिने कुबेर ही थक जांते ।
तव धन कबि गिन ना पांते ॥१५॥

तुम उपकार ब्रह्मकुले कीह्ना ।
ब्रह्म मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥

तुह्मरो शक्ती सब जग जाना ।
राक्षस कांपे तुमये भय माना ॥१७॥

तुम चिरंजीव असे जग जानु ।
जो करे तव भक्ती मधुर फल भानु ॥१८॥

बुद्धिदाता परशु हथ तुज देई ।
शिव धनुष्य माहेश्वर मिलमेेई ॥१९॥

दुष्ट संहार कर त्रिलोक जिते ।
ब्रह्मकुल के तुम भाग्यविधाते ॥२०॥

ऋषि मुनि के तुम रखवारे ।
शिव आज्ञा होत दुहीत को संहवारे ॥२१॥

सब जग आंये तुह्मरी शरना ।
तुम रच्छक काहू को डर ना ॥२२॥

परशु चमक रवि ही छुंपै ।
भार्गव नाम सुनत दुष्ट थर कांपै ॥२३॥

रेणुका पुत्र नाम जब आंवै ।
तब तव गान सहस्र जुग गांवै ॥२४॥

परशुराम नाम सुरा ।
जपत रहो ब्रह्मविरा ॥२५॥

संकट पडे तो भद्र बचांवै ।
मन से ध्यान भार्गव जो लांवै ॥२६॥

जगत के तुम तपस्वी राजा ।
ब्रह्मकुल जन्मे उपकार मज वर कीजा ॥२७॥

इच्छा धरीत तुज भक्ती जो कीवै ।
इच्छित जो तिज फल पावै ॥२८॥

भार्गव नाम सुनित होय उजियारा ।
आज्ञा पालत तव जग दिवाकरा ॥२९॥

राम सह धनुर युद्ध पुकारे ।
अवतार सप्तम समज दुवारे ॥३०॥

युद्ध कौशल्य वेदो जानता ।
कौतुक देखे रेणुका माता ॥३१॥

चारो जुग तुज कीर्तीमासा ।
सदा रहो ब्रह्मकुल के रासा ॥३२॥

तेहतीस कोट देव तुज गुन गावै ।
भार्गव नाम लेत सब दुख बिसरावै ॥३३॥

तुज नाम महीमा लागे माई ।
जनम जनम करे पुण्य कमाई ॥३४॥

म्हारे चित्त तुज दुज ना जाई ।
सारे सेई सब सुख मज पाई ॥३५॥

परशुराम नाम सुने भागे पीरा ।
भद्र नाम सुनत उठे ब्रह्मविरा ॥३६॥

जय परशुराम कहें मज विप्राईं ।
तुज कृपा करहु भार्गव नाईं ॥३७॥

पठे जो यह शत बार कोई ।
भार्गव कृपा उस सदैव होई ॥३८॥

पढित यह परशुराम चालीसा ।
सुख शांती नांदे रहे विष्णुदासा ॥३९॥

वसंतसुत पुरुषोत्तम रज असै तैरा।
तुज भक्ती मोही जुग जग सारा ॥४०॥

॥ दोहा ॥

रेणुका नंदन नारायण अंश ब्रह्मकुल रुप ।
परशुराम भार्गव रामभद्र ह्रदयी बसये भुप ॥


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