भवानी अष्टकम

न तातो न माता न बन्धुर्न दातान पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता ।न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैवगतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥1॥ भवाब्धावपारे

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निर्वाण षट्कम

मनोबुद्ध्यहङ्कार चित्तानि नाहंन च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे ।न च व्योम भूमिर्न तेजो न वायुःचिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥१॥चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥ न च

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Shiv Aarti ॐ जय शिव ओंकारा

ॐ जय शिव ओंकारा स्वामी जय शिव ओंकारा ।ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।हंसानन

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महामाय़ा अष्टकम्

भद्रकाळि विश्वमाता जगत्स्रोत कारिणि
शिवपत्नि पापहर्त्रि सर्वभूत तारिणि
स्कन्दमाता शिवा शिवा सर्वसृष्टि धारिणि
नमः नमः महामाय़े ! हिमाळय-नन्दिनि || १

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गणपति रक्षाकवचम्

पार्वतेयं महाकायं ऋद्धिसिद्धि वरदायकम्
गणपतिं निधिपतिं सर्वजन लोकनायकम्
रुद्रप्रियं यज्ञकायं नमामि हे दीर्घकायकम्
हे गजानन गिरिजानन्दन रक्ष मां देव रक्ष माम् ।। १ ।। 

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श्री हनुमान हृदय मालिका

प्रेमभक्तिं मुक्तिं शक्तिं सर्वसिद्धिं प्रदायकम् |
शिवरूपं परमशिवं सर्वशिवं जयो जयः ||
पवन पुत्र हनुमान विचित्र |
कृपा कटाक्ष अत्र तत्र सर्वत्र ||१||

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रामरघुनाथ अष्टकम्

दशरथनन्दन दाशरथीघन पूर्णचन्द्र तनु कान्तिमयम्दिव्यसुनयन रण्जीतरञ्जन रमापती वीर सीतानाथम्गहनकानने लक्ष्मीलक्ष्मीपति पितृसत्यधारी सत्यसुतम्पूर्णसत्यदेव राघव माधब रामरघुनाथ पदौभजे ॥१॥ मण्डितधरणी खण्डिततनुनतमस्तकेभूषित क्लेशभारम्सम्भबतियुगेयुगे नानाकृतधृतरूप अरूपस्वरूप शस्त्रधरम्पापासुरनिधन साधुपरित्राण दरिद्रदारुण

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कारण षटकम्

मम जीवनस्य जीवनम्
उद्भाषितं नित्यशोभनम्
त्वमेव देवं त्वमेव सर्वम्
हृदि स्थिते सदा धारणम् 
हे कृष्ण हे माधव हे देव त्वम्
सर्व कारणस्य कारणम्  ।। १ ।। 

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राधाकृपा स्तोत्रम्

कृष्णप्रेमविनोदिनि कृष्णानन्दप्रदायिनिकृष्णानन्दा सदानन्दा कृष्णसंगसुशोभिनिकृष्णप्राणेश्वरी कृष्णा कमलाकुञ्जवासिनिराधे राधे राधे राधे नमो दीनकृपालिनि ।। १ ।। कृष्णकामबिबर्धिनि कृष्णप्रेमप्रदायिनिकृष्णकामा कृष्णप्रिया कृष्णलीला शिरोमणिकृष्णवक्षस्थितादेवी कुन्ददामसुशोभिनिराधे राधे राधे राधे नमो दीनकृपालिनि।।

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नारायण अष्टकम्

कृपामयं चक्रधरं सर्वहृदये संस्थितम्
समस्त भूतान्तिके वा पुनश्च दूरेवस्थितम्
अनन्त शयने स्थितं नारायणं महेश्वरम्
तव चरणपंकजं निरन्तरं भजाम्यहम् ॥१॥

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श्री विष्णुपुत्रं शिवदिव्यबालं मोक्ष प्रदं दिव्यजनाभिवन्द्यम् ।
कैलासनाथ प्रणवस्वरूपं श्रीभूतनाथं मनसा स्मरामि ॥ १॥

अज्ञानघोरान्ध धर्म प्रदीपं प्रज्ञानदान प्रणवं कुमारम् ।
लक्ष्मीविलासैकनिवासरङ्गं श्रीभूतनाथं मनसा स्मरामि ॥ २॥

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शिव शिव शक्तिनाथं संहारं शं स्वरूपम् नव नव नित्यनृत्यं ताण्डवं तं तन्नादम्
घन घन घूर्णिमेघं घंघोरं घं न्निनादम् भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् |

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दुर्गा दुर्गार्तिशमनी दुर्गापद्विनिवारिणी।
दुर्गमच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी॥

दुर्गतोद्धारिणी दुर्गानिहन्त्री दुर्गमापहा।
दुर्गमज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला॥

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श्री रामदूत आंजनेय स्तोत्रम्

रं रं रं रक्तवर्णं दिनकरवदनं तीक्ष्णदंष्ट्राकरालंरं रं रं रम्यतेजं गिरिचलनकरं कीर्तिपंचादि वक्त्रम् ।रं रं रं राजयोगं सकलशुभनिधिं सप्तभेतालभेद्यंरं रं रं राक्षसांतं सकलदिशयशं रामदूतं नमामि ॥

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श्री गणेश मंगलाष्टकम्

॥ श्री गणेशाय नमः ॥ गजाननाय गांगेयसहजाय सदात्मने ।गौरीप्रिय तनूजाय गणेशायास्तु मंगलम् ॥ 1 ॥ नागयज्ञोपवीदाय नतविघ्नविनाशिने ।नंद्यादि गणनाथाय नायकायास्तु मंगलम् ॥ 2 ॥ इभवक्त्राय

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