श्री गणपति गुरुपद कमल,
प्रेम सहित सिरनाय ।
नवग्रह चालीसा कहत,
शारद होत सहाय ।
Category: चालीसा संग्रह
श्री गणपति गुरु गौरी पद,
प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वंदन करो,
श्री शिव भैरवनाथ ।
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥
जय गणपति सदगुण सदन,
कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ॥
श्री गुरु चरन सरोज रज,
निज मनु मुकुर सुधारि ।
बरनउं रघुबर विमल जसु,
जो दायकु फल चारि ॥