नमो विष्णु भगवान खरारी,
कष्ट नशावन अखिल बिहारी,
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,
त्रिभुवन फैल रही उजियारी ।
नमो विष्णु भगवान खरारी,
कष्ट नशावन अखिल बिहारी,
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,
त्रिभुवन फैल रही उजियारी ।
श्री रघुबीर भक्त हितकारी,
सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ।
निशि दिन ध्यान धरै जो कोई,
ता सम भक्त और नहिं होई ।
कनक बदन कुंडल मकर,
मुक्ता माला अंग।
पद्मासन स्थित ध्याइए,
शंख चक्र के संग॥
श्री गणपति गुरुपद कमल,
प्रेम सहित सिरनाय ।
नवग्रह चालीसा कहत,
शारद होत सहाय ।
श्री गणपति गुरु गौरी पद,
प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वंदन करो,
श्री शिव भैरवनाथ ।
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥
जय गणपति सदगुण सदन,
कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ॥
श्री गुरु चरन सरोज रज,
निज मनु मुकुर सुधारि ।
बरनउं रघुबर विमल जसु,
जो दायकु फल चारि ॥