जय परशुराम बलवान दुनिया सार।
जय रामभद्र कहे लोक करे जागर॥
शिव शिष्य भार्गव तव नामा ।
रेणुका पुत्र जमतग्निसुत लामा ॥
जय परशुराम बलवान दुनिया सार।
जय रामभद्र कहे लोक करे जागर॥
शिव शिष्य भार्गव तव नामा ।
रेणुका पुत्र जमतग्निसुत लामा ॥
जय-जय-जय शीतला भवानी।
जय जग जननि सकल गुणखानी॥
गृह-गृह शक्ति तुम्हारी राजित।
पूरण शरदचन्द्र समसाजित॥
नमो: नमो: वैष्णो वरदानी,
कलि काल मे शुभ कल्याणी ।
मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी,
पिंडी रूप में हो अवतारी ॥
आरती स्वामी राजा । कोटी आदित्यतेजा ।
तु गुरु मायबाप । प्रभू अजानुभुजा ।
आरती स्वामी राजा ॥धृ॥
अश्विन शुद्धपक्षी अंबा बैसली सिंहासनी हो|
प्रतिपदेपासूनी ती घटस्थापना करूनी हो|
मूलमंत्र जप करूनी भोवते रक्षक ठेवूनी हो|
ब्रम्हाविष्णूरुद्र आईचे पूजन करीती हो|
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा.
जय देव जय देव, जय जय अवधूता ।
अगम्य लीला स्वामी, त्रिभुवनी तुझी सत्ता।।
जय देव जय देव ॥धृ॥
जय देव, जय देव, जय श्री स्वामी समर्था,
जय श्री स्वामी समर्था।
आरती ओवाळू चरणी ठेउनिया माथा
आरती स्वामी राजा । कोटी आदित्यतेजा ।
तु गुरु मायबाप । प्रभू अजानुभुजा ।
आरती स्वामी राजा ॥धृ॥
जय जय सद्-गुरु स्वामी समर्था,
आरती करु गुरुवर्या रे ।
अगाध महिमा तव चरणांचा,
वर्णाया मति दे यारे ॥धृ॥
ओवाळीतो काकड आरती स्वामी समर्थ तुजप्रती
। स्वामी समर्थ तुजप्रती। चरण दावी जगत्पते ।
स्मरतो तुझी अभिमूर्ती ॥
ॐ श्रियै नमः। Om Shriye Namah
ॐ उमायै नमः। Om Umaaye Namah
ॐ भारत्यै नमः। Om Bharatye Namah
ॐ भद्रायै नमः। Om Bhadraaye Namah
ॐ प्रकृत्यै नमः। Om Prakrityai Namah।
ॐ विकृत्यै नमः। Om Vikrityai Namah।
ॐ विद्यायै नमः। Om Vidyayai Namah।
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही।
ज्ञान, बुद्धि, विद्या दो मोही॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी।
सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल करण कृपाल,
दीनन के दुख दूर करि,
कीजै नाथ निहाल ।
जय यदुनंदन जय जगवंदन,
जय वसुदेव देवकी नन्दन,
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे,
जय प्रभु बह्क्तन के दृग तारे ।