जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब।
देहु दर्श जगदम्ब अब, करो न मातु विलम्ब।।
जय तारा जय कालिका जय दश विद्या वृन्द।
काली चालीसा रचत एक सिद्धि कवि हिन्द॥
जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब।
देहु दर्श जगदम्ब अब, करो न मातु विलम्ब।।
जय तारा जय कालिका जय दश विद्या वृन्द।
काली चालीसा रचत एक सिद्धि कवि हिन्द॥
ॐ श्मशानकालिकायै नमः।
ॐ काल्यै नमः।
ॐ भद्रकाल्यैनमः।
ॐ कपालिन्यै नमः।
ॐ गुह्यकाल्यै नमः।
ॐ महाकाल्यै नमः।
नमो महा कालिका भवानी।
महिमा अमित न जाय बखानी॥
तुम्हारो यश तिहुँ लोकन छायो।
सुर नर मुनिन सबन गुण गायो॥