श्री रामदूत आंजनेय स्तोत्रम्

श्री रामदूत आंजनेय स्तोत्रम् | shree Ramadootha Anjaneya Stotram

खं खं खं खड्गहस्तं विषज्वरहरणं वेदवेदांगदीपं
खं खं खं खड्गरूपं त्रिभुवननिलयं देवतासुप्रकाशम् ।
खं खं खं कल्पवृक्षं मणिमयमकुटं माय मायास्वरूपं
खं खं खं कालचक्रं सकलदिशयशं रामदूतं नमामि ॥ 2 ॥

सं सं सं साक्षिभूतं विकसितवदनं पिंगलाक्षं सुरक्षं
सं सं सं सत्यगीतं सकलमुनिनुतं शास्त्रसंपत्करीयम् ।
सं सं सं सामवेदं निपुण सुललितं नित्यतत्त्वस्वरूपं
सं सं सं सावधानं सकलदिशयशं रामदूतं नमामि ॥ 4 ॥

इति श्री रामदूत स्तोत्रम् ॥


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