कळ कळ काळरूपं कल्लोळं कं कराळम् डम डम डमनादं डम्बुरुं
डंकनादम् सम सम शक्तग्रीवं सर्वभूतं सुरेशम् भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् || २ ||

हर हर हरिप्रियं त्रितापं हं संहारम् खम खम क्षमाशीळं सपापं खं क्षमणम्
द्दग द्दग ध्यानमूर्त्तिं सगुणं धं धारणम् भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् || ४ ||

गम गम गीतनाथं दूर्गमं गं गंतव्यम् टम टम रूंडमाळं टंकारं टंकनादम्
भम भम भ्रम् भ्रमरं भैरवं क्षेत्रपाळम् भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् || ६ ||

नीलकंठाय सत्स्वरूपाय सदाशिवाय नमो नमःयक्षरूपाय जटाधराय नागदेवाय नमो नमःइंद्रहाराय त्रिलोचनाय गंगाधराय नमो नमःअर्धचंद्रम् शिरकिरीटम् भूतनाथं शिवम् भजे || ८ ||

|| इति श्री कृष्णदासः विरचित भूतनाथ अष्टकम् यः पठति
निस्कामभावेन सः शिवलोकं सगच्छति ||

अन्य अष्टक संग्रह


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