श्री वेंकटेश अष्टकम

श्री वेंकटेश अष्टकम | Venkatesa Ashtakam

ॐतत्सदिति निर्देश्यं जगज्जन्मादिकारणम् ।
अनन्तकल्याणगुणं वन्दे श्रीवेङ्कटेश्वरम् ॥ १॥

नतामरशिरोरत्न श्रीयुतम् श्रीपदाम्बुजम् ।
प्रावृषेण्यघनश्यामं वन्दे श्रीवेङ्कटेश्वरम् ॥ २॥

मोहादिषडरिव्यूहग्रहाकुलमहार्णवे ।
मज्जतां तरणीं नॄणां वन्दे श्रीवेङ्कटेश्वरम् ॥ ३॥

नाथं त्रिजगतां एकं साधुरक्षणदीक्षितम् ।
श्रीशेषशैलमध्यस्थं वन्दे श्रीवेङ्कटेश्वरम् ॥ ४॥

राजद्राजीवपत्रश्रीमदमोचनलोचनम् ।
मन्दहासलसद् वक्त्रं वन्दे श्रीवेङ्कटेश्वरम् ॥ ५॥

यन्मुखेन्दुस्मितज्योत्स्ना भूयसीं तमसां ततिम् ।
विधुनोति प्रपन्नानां वन्दे श्रीवेङ्कटेश्वरम्॥ ६॥

नान्तस्य कस्यचिद् वाक्यं शब्दस्यानन्य वाचिनः ।
ब्रह्मारुद्रेन्द्रजनकं वन्दे श्रीवेङ्कटेश्वरम् ॥ ७॥

यद्वक्षःस्थलमध्यास्य भाति श्रीरनपायिनी ।
तडिल्लेखेवाभ्रमध्ये वन्दे श्रीवेङ्कटेश्वरम् ॥ ८॥

वेङ्कटेशाष्टकमिदं नरकण्ठीरवोदितम् ।
यः पठेत् सततं भक्त्या तस्मै विष्णुः प्रसीदति ॥


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