जटाटवी गलज्जल प्रवाह पावित स्थलेगलेऽ वलम्ब्य लम्बितां भुजंग तुंग मालिकाम्।डमड्डम ड्डम ड्डम निनादवड्डमर्वयंचकार चंड तांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥१॥ जटा कटाह संभ्रम भ्रम न्निलिंप
Category: देवी-देवता

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः | ॐ दुर्गे स्मृता हरसिभीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि | ॐ हिरण्यवर्णां

॥ क्षमा-प्रार्थना ॥ अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि ॥ 1॥ आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि ॥ 2॥

ॐ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने |दुष्टारिष्टाविनाशाय पराय परमात्मने || 1 || लम्बोदरं महावीर्यं नागयज्ञोप शोभितं |अर्धचन्द्रधरं देवं विघ्नव्यूह विनाशनं || 2 || ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं

असें पातकी दीन मीं स्वामी राया ।
पदी पातलो सिद्ध व्हा उद्धराया ॥
नसे अन्य त्राता जगी या दीनाला ।
समर्थां तुझ्यावीण प्रार्थू कुणाला ॥

नमो महा कालिका भवानी।
महिमा अमित न जाय बखानी॥
तुम्हारो यश तिहुँ लोकन छायो।
सुर नर मुनिन सबन गुण गायो॥

ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे,
पंच बदन नित तुमको ध्यावे ।
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो,
सहसबदन श्रम करत घनेरो ।।

जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी ।
धन माया के तुम अधिकारी ॥
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी ।
पवन वेग सम सम तनु बलधारी ॥

जय परशुराम बलवान दुनिया सार।
जय रामभद्र कहे लोक करे जागर॥
शिव शिष्य भार्गव तव नामा ।
रेणुका पुत्र जमतग्निसुत लामा ॥

जय-जय-जय शीतला भवानी।
जय जग जननि सकल गुणखानी॥
गृह-गृह शक्ति तुम्हारी राजित।
पूरण शरदचन्द्र समसाजित॥

नमो: नमो: वैष्णो वरदानी,
कलि काल मे शुभ कल्याणी ।
मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी,
पिंडी रूप में हो अवतारी ॥

आरती स्वामी राजा । कोटी आदित्यतेजा ।
तु गुरु मायबाप । प्रभू अजानुभुजा ।
आरती स्वामी राजा ॥धृ॥

अश्विन शुद्धपक्षी अंबा बैसली सिंहासनी हो|
प्रतिपदेपासूनी ती घटस्थापना करूनी हो|
मूलमंत्र जप करूनी भोवते रक्षक ठेवूनी हो|
ब्रम्हाविष्णूरुद्र आईचे पूजन करीती हो|

जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा.

जय देव जय देव, जय जय अवधूता ।
अगम्य लीला स्वामी, त्रिभुवनी तुझी सत्ता।।
जय देव जय देव ॥धृ॥

जय देव, जय देव, जय श्री स्वामी समर्था,
जय श्री स्वामी समर्था।
आरती ओवाळू चरणी ठेउनिया माथा