नमो विष्णु भगवान खरारी,
कष्ट नशावन अखिल बिहारी,
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,
त्रिभुवन फैल रही उजियारी ।
नमो विष्णु भगवान खरारी,
कष्ट नशावन अखिल बिहारी,
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,
त्रिभुवन फैल रही उजियारी ।
श्री रघुबीर भक्त हितकारी,
सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ।
निशि दिन ध्यान धरै जो कोई,
ता सम भक्त और नहिं होई ।
कनक बदन कुंडल मकर,
मुक्ता माला अंग।
पद्मासन स्थित ध्याइए,
शंख चक्र के संग॥
ॐ आञ्जनेयाय नमः।
Om Anjaneyaya Namah।
ॐ महावीराय नमः।
Om Mahaviraya Namah।
ॐ हनूमते नमः।
Om Hanumate Namah।
ॐ सर्वमायाविभंजनाय नमः।
Om Sarvamayavibhanjanaya Namah।
ॐ कृष्णाय नमः। Om Krishnaya Namah।
ॐ कमलानाथाय नमः। Om Kamalanathaya Namah।
ॐ वासुदेवाय नमः। Om Vasudevaya Namah।
ॐ सनातनाय नमः। Om Sanatanaya Namah।
ॐ श्रीरामाय नमः। Om Shriramaya Namah।
ॐ रामभद्राय नमः। Om Ramabhadraya Namah।
ॐ रामचन्द्राय नमः। Om Ramachandraya Namah।
ॐ शाश्वताय नमः। Om Shashwataya Namah।
ॐ शिवाय नमः। Om Shivaya Namah।
ॐ महेश्वराय नमः। Om Maheshwaraya Namah।
ॐ शंभवे नमः। Om Shambhave Namah।
ॐ शशिशेखराय नमः। Om Shashishekharaya Namah।
ॐ गजाननाय नमः। Om Gajananaya Namah।
ॐ गणाध्यक्षाय नमः। Om Ganadhyakshaya Namah।
ॐ विघ्नराजाय नमः। Om Vighnarajaya Namah।
ॐ विनायकाय नमः। Om Vinayakaya Namah।
ॐ विष्णवे नमः। Om Vishnave Namah।
ॐ लक्ष्मीपतये नमः। Om Lakshmipataye Namah।
ॐ कृष्णाय नमः। Om Krishnaya Namah।
ॐ वैकुण्ठाय नमः। Om Vaikunthaya Namah।
श्री गणपति गुरु गौरी पद,
प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वंदन करो,
श्री शिव भैरवनाथ ।
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥
जय हनुमन्त सन्त हितकारी ।
सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
जन के काज विलम्ब न कीजै ।
आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥
जय जय श्री शनि देवा ।
पद्मकर शिरीं ठेवा ॥
आरती ओंवाळीतों ।
मनोभावें करुनी सेवा ॥
ॐ अस्य आदित्य हृदयस्तोत्रस्यागस्त्यऋषिः अनुष्टुपछन्दः,
आदित्येहृदयभूतो भगवान ब्रह्मा देवता।
निरस्ताशेषविघ्नतया ब्रह्मविद्यासिद्धौ
सर्वत्र जयसिद्धौ च विनियोगः।
नानापरिमळ दुर्वा शेंदूर शमिपत्रें ।
लाडू मोद्क अन्ने परिपूरित पात्रें ।।
ऎसे पूजन केल्या बीजाक्षरमंत्रे ।
अष्टहि सिद्धी नवनिधी देसी क्षणमात्रें ।। १ ।।
शेंदूर लाल चढायो अच्छा गजमुखको ।
दोंदिल लाल विराजे सुत गौरीहरको ।
हाथलिये गुडलड्डू साई सुरवरको ।
महिमा कहे न जाय लागत हुं पदको ॥१॥