अष्टावक्र उवाच ॥
भावाभावविकारश्च स्वभावादिति निश्चयी ।
निर्विकारो गतक्लेशः सुखेनैवोपशाम्यति ॥ ११-१॥
ईश्वरः सर्वनिर्माता नेहान्य इति निश्चयी ।
अन्तर्गलितसर्वाशः शान्तः क्वापि न सज्जते ॥ ११-२॥
आपदः सम्पदः काले दैवादेवेति निश्चयी ।
तृप्तः स्वस्थेन्द्रियो नित्यं न वाञ्छति न शोचति ॥ ११-३॥
सुखदुःखे जन्ममृत्यू दैवादेवेति निश्चयी ।
साध्यादर्शी निरायासः कुर्वन्नपि न लिप्यते ॥ ११-४॥
चिन्तया जायते दुःखं नान्यथेहेति निश्चयी ।
तया हीनः सुखी शान्तः सर्वत्र गलितस्पृहः ॥ ११-५॥
नाहं देहो न मे देहो बोधोऽहमिति निश्चयी ।
कैवल्यमिव सम्प्राप्तो न स्मरत्यकृतं कृतम् ॥ ११-६॥
आब्रह्मस्तम्बपर्यन्तमहमेवेति निश्चयी ।
निर्विकल्पः शुचिः शान्तः प्राप्ताप्राप्तविनिर्वृतः ॥ ११-७॥
नानाश्चर्यमिदं विश्वं न किञ्चिदिति निश्चयी ।
निर्वासनः स्फूर्तिमात्रो न किञ्चिदिव शाम्यति ॥ ११-८॥
अष्टावक्र गीता

अष्टावक्र गीता अध्याय पहिला | Ashtavakra Geeta Adhyay 1

अष्टावक्र गीता अध्याय दुसरा | Ashtavakra Geeta Adhyay 2

अष्टावक्र गीता अध्याय तिसरा | Ashtavakra Geeta Adhyay 3

अष्टावक्र गीता अध्याय चौथा | Ashtavakra Geeta Adhyay 4

अष्टावक्र गीता अध्याय पाचवा | Ashtavakra Geeta Adhyay 5

अष्टावक्र गीता अध्याय सहावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 6

अष्टावक्र गीता अध्याय सातवा | Ashtavakra Geeta Adhyay 7

अष्टावक्र गीता अध्याय आठवा | Ashtavakra Geeta Adhyay 8

अष्टावक्र गीता अध्याय नववा | Ashtavakra Geeta Adhyay 9

अष्टावक्र गीता अध्याय दहावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 10

अष्टावक्र गीता अध्याय बारावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 12

अष्टावक्र गीता अध्याय तेरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 13

अष्टावक्र गीता अध्याय चौदावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 14

अष्टावक्र गीता अध्याय पंधरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 15

अष्टावक्र गीता अध्याय सोळावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 16

अष्टावक्र गीता अध्याय सतरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 17

अष्टावक्र गीता अध्याय अठरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 18

अष्टावक्र गीता अध्याय एकोणीसवा | Ashtavakra Geeta Adhyay 19

अष्टावक्र गीता अध्याय विसावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 20