जनक उवाच ॥
तत्त्वविज्ञानसन्दंशमादाय हृदयोदरात् ।
नानाविधपरामर्शशल्योद्धारः कृतो मया ॥ १९-१॥
क्व धर्मः क्व च वा कामः क्व चार्थः क्व विवेकिता ।
क्व द्वैतं क्व च वाऽद्वैतं स्वमहिम्नि स्थितस्य मे ॥ १९-२॥
क्व भूतं क्व भविष्यद् वा वर्तमानमपि क्व वा ।
क्व देशः क्व च वा नित्यं स्वमहिम्नि स्थितस्य मे ॥ १९-३॥
क्व चात्मा क्व च वानात्मा क्व शुभं क्वाशुभं यथा ।
क्व चिन्ता क्व च वाचिन्ता स्वमहिम्नि स्थितस्य मे ॥ १९-४॥
क्व स्वप्नः क्व सुषुप्तिर्वा क्व च जागरणं तथा ।
क्व तुरीयं भयं वापि स्वमहिम्नि स्थितस्य मे ॥ १९-५॥
क्व दूरं क्व समीपं वा बाह्यं क्वाभ्यन्तरं क्व वा ।
क्व स्थूलं क्व च वा सूक्ष्मं स्वमहिम्नि स्थितस्य मे ॥ १९-६॥
क्व मृत्युर्जीवितं वा क्व लोकाः क्वास्य क्व लौकिकम् ।
क्व लयः क्व समाधिर्वा स्वमहिम्नि स्थितस्य मे ॥ १९-७॥
अलं त्रिवर्गकथया योगस्य कथयाप्यलम् ।
अलं विज्ञानकथया विश्रान्तस्य ममात्मनि ॥ १९-८॥
अष्टावक्र गीता

अष्टावक्र गीता अध्याय पहिला | Ashtavakra Geeta Adhyay 1

अष्टावक्र गीता अध्याय दुसरा | Ashtavakra Geeta Adhyay 2

अष्टावक्र गीता अध्याय तिसरा | Ashtavakra Geeta Adhyay 3

अष्टावक्र गीता अध्याय चौथा | Ashtavakra Geeta Adhyay 4

अष्टावक्र गीता अध्याय पाचवा | Ashtavakra Geeta Adhyay 5

अष्टावक्र गीता अध्याय सहावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 6

अष्टावक्र गीता अध्याय सातवा | Ashtavakra Geeta Adhyay 7

अष्टावक्र गीता अध्याय आठवा | Ashtavakra Geeta Adhyay 8

अष्टावक्र गीता अध्याय नववा | Ashtavakra Geeta Adhyay 9

अष्टावक्र गीता अध्याय दहावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 10

अष्टावक्र गीता अध्याय अकरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 11

अष्टावक्र गीता अध्याय बारावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 12

अष्टावक्र गीता अध्याय तेरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 13

अष्टावक्र गीता अध्याय चौदावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 14

अष्टावक्र गीता अध्याय पंधरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 15

अष्टावक्र गीता अध्याय सोळावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 16

अष्टावक्र गीता अध्याय सतरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 17

अष्टावक्र गीता अध्याय अठरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 18

अष्टावक्र गीता अध्याय विसावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 20