अष्टावक्र उवाच ॥
तदा बन्धो यदा चित्तं किञ्चिद् वाञ्छति शोचति ।
किञ्चिन् मुञ्चति गृह्णाति किञ्चिद्धृष्यति कुप्यति ॥ ८-१॥
तदा मुक्तिर्यदा चित्तं न वाञ्छति न शोचति ।
न मुञ्चति न गृह्णाति न हृष्यति न कुप्यति ॥ ८-२॥
तदा बन्धो यदा चित्तं सक्तं कास्वपि दृष्टिषु ।
तदा मोक्षो यदा चित्तमसक्तं सर्वदृष्टिषु ॥ ८-३॥
यदा नाहं तदा मोक्षो यदाहं बन्धनं तदा ।
मत्वेति हेलया किञ्चिन्मा गृहाण विमुञ्च मा ॥ ८-४॥
अष्टावक्र गीता

अष्टावक्र गीता अध्याय पहिला | Ashtavakra Geeta Adhyay 1

अष्टावक्र गीता अध्याय दुसरा | Ashtavakra Geeta Adhyay 2

अष्टावक्र गीता अध्याय तिसरा | Ashtavakra Geeta Adhyay 3

अष्टावक्र गीता अध्याय चौथा | Ashtavakra Geeta Adhyay 4

अष्टावक्र गीता अध्याय पाचवा | Ashtavakra Geeta Adhyay 5

अष्टावक्र गीता अध्याय सहावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 6

अष्टावक्र गीता अध्याय सातवा | Ashtavakra Geeta Adhyay 7

अष्टावक्र गीता अध्याय नववा | Ashtavakra Geeta Adhyay 9

अष्टावक्र गीता अध्याय दहावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 10

अष्टावक्र गीता अध्याय अकरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 11

अष्टावक्र गीता अध्याय बारावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 12

अष्टावक्र गीता अध्याय तेरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 13

अष्टावक्र गीता अध्याय चौदावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 14

अष्टावक्र गीता अध्याय पंधरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 15

अष्टावक्र गीता अध्याय सोळावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 16

अष्टावक्र गीता अध्याय सतरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 17

अष्टावक्र गीता अध्याय अठरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 18

अष्टावक्र गीता अध्याय एकोणीसवा | Ashtavakra Geeta Adhyay 19

अष्टावक्र गीता अध्याय विसावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 20