अष्टावक्र उवाच ॥
कृताकृते च द्वन्द्वानि कदा शान्तानि कस्य वा ।
एवं ज्ञात्वेह निर्वेदाद् भव त्यागपरोऽव्रती ॥ ९-१॥
कस्यापि तात धन्यस्य लोकचेष्टावलोकनात् ।
जीवितेच्छा बुभुक्षा च बुभुत्सोपशमं गताः ॥ ९-२॥
अनित्यं सर्वमेवेदं तापत्रितयदूषितम् ।
असारं निन्दितं हेयमिति निश्चित्य शाम्यति ॥ ९-३॥
कोऽसौ कालो वयः किं वा यत्र द्वन्द्वानि नो नृणाम् ।
तान्युपेक्ष्य यथाप्राप्तवर्ती सिद्धिमवाप्नुयात् ॥ ९-४॥
नाना मतं महर्षीणां साधूनां योगिनां तथा ।
दृष्ट्वा निर्वेदमापन्नः को न शाम्यति मानवः ॥ ९-५॥
कृत्वा मूर्तिपरिज्ञानं चैतन्यस्य न किं गुरुः ।
निर्वेदसमतायुक्त्या यस्तारयति संसृतेः ॥ ९-६॥
पश्य भूतविकारांस्त्वं भूतमात्रान् यथार्थतः ।
तत्क्षणाद् बन्धनिर्मुक्तः स्वरूपस्थो भविष्यसि ॥ ९-७॥
वासना एव संसार इति सर्वा विमुञ्च ताः ।
तत्त्यागो वासनात्यागात्स्थितिरद्य यथा तथा ॥ ९-८॥
अष्टावक्र गीता
अष्टावक्र गीता अध्याय पहिला | Ashtavakra Geeta Adhyay 1
अष्टावक्र गीता अध्याय दुसरा | Ashtavakra Geeta Adhyay 2
अष्टावक्र गीता अध्याय तिसरा | Ashtavakra Geeta Adhyay 3
अष्टावक्र गीता अध्याय चौथा | Ashtavakra Geeta Adhyay 4
अष्टावक्र गीता अध्याय पाचवा | Ashtavakra Geeta Adhyay 5
अष्टावक्र गीता अध्याय सहावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 6
अष्टावक्र गीता अध्याय सातवा | Ashtavakra Geeta Adhyay 7
अष्टावक्र गीता अध्याय आठवा | Ashtavakra Geeta Adhyay 8
अष्टावक्र गीता अध्याय दहावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 10
अष्टावक्र गीता अध्याय अकरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 11
अष्टावक्र गीता अध्याय बारावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 12
अष्टावक्र गीता अध्याय तेरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 13
अष्टावक्र गीता अध्याय चौदावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 14
अष्टावक्र गीता अध्याय पंधरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 15
अष्टावक्र गीता अध्याय सोळावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 16
अष्टावक्र गीता अध्याय सतरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 17
अष्टावक्र गीता अध्याय अठरावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 18
अष्टावक्र गीता अध्याय एकोणीसवा | Ashtavakra Geeta Adhyay 19
अष्टावक्र गीता अध्याय विसावा | Ashtavakra Geeta Adhyay 20